आइये पढ़ते हैं आचार्य गौतम विश्वकर्मा जी द्वारा लिखित भजन

  सोनभद्र 
   
                                       भजन 
                      यह संसार छोड़कर जाना है....
कर लो बंदे मात- पिता की सेवा,
प्रित लगा लो परमात्मा से।
अभी समय है सम्भल जाओ,
यह संसार छोड़कर जाना है।।
कर लो दीन-दुखियों की सेवा,
प्रित लगा लो परमात्मा से।
क्या तुम लेकर आए थे,
क्या लेकर जाना है।
जो कुछ तुमने बनाया है,
यहीं धरा पर रह जाना है।।
कर लो बंदे नर की सेवा,
यहीं नारायण सेवा है।
कर लो बंदे मात-पिता की सेवा,
प्रित लगा लो परमात्मा से।
अभी समय है सम्भल जाओ,
यह संसार छोड़कर जाना है।।
 
                       -आचार्य गौतम विश्वकर्मा

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