खण्डग्रास सूर्य ग्रहण, 21 जून 2020, जानें क्या होगा इसका प्रभाव-
आषाढ़ कृष्ण पक्ष 30 (अमावस्या) रविवार (21 जून 2020) को (चूड़ामणि योग) खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा एवं यह ग्रहण मध्य अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन, ताइवान, अरब, पाकिस्तान इत्यादि देशों में भी देखने को मिलेगा।
खण्डग्रास सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र तथा मिथुन राशि मन्डल पर होगा। अतः इन राशि नक्षत्र वालों कों ग्रहण का दर्शन नही करना चाहिए। बल्कि अपने इष्टदेव की आराधना, गुरुमंत्र जाप, एवं धार्मिक ग्रंथो का पठन पाठन करना चाहिए। क्योकि ग्रहण काल में किया गया जप अनुष्ठान आदि अनंत गुना फल व अभीष्ट सिद्धि प्रदान करता है। ग्रहण का मोक्ष (समाप्ति) आर्द्रा नक्षत्र में होगा।
सार्वभौमिक परिदृश्य में इसका समय (भारतीय मानक समयानुसार) - ग्रहण का स्पर्श प्रात: 9:16 मिनट
ग्रहण का मध्य मध्यान्ह 12:10:मिनट
ग्रहण मोक्ष 15:04 मिनट पर होगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले से ही सूतक लग जाता है।
ध्यान रखें सूर्य ग्रहण का समय हर स्थान में अलग - अलग होगा।
सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर व काशी में ग्रहण का समय दिन में 10:31 से लेकर मध्य दिन में 12:18 तक और मोक्ष दिन में 02:04 पर होगा।
खण्डग्रास सूर्य ग्रहण का भारत में पड़ने वाले प्रभाव-
ज्योतिर्विद आचार्य गोविन्द पाण्डेय के अनुसार- सूर्य चंद्र बुध सूर्य राहु की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं बुध, गुरु, शुक्र शनि राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति ।
इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकती है।
जैसे - आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना, भूकम्प, तूफान, उच्चस्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु, एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है।
विभिन्न राशियों के फल:-
नामाक्षर, राशिफल और सुझाव-
मेष-
चु चे चो ला ली लू ले लो अ
श्री: समय लाभदायक रहेगा । इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का जप करें।
वृष- ई उ ए ओ वा वी वू वे वो
क्षति: समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप ॐ गं गणपतये नमः का जप करें।
मिथुन- का की कु घ ङ छ के को हा
घातः मानसिक परेशानी। इस समय आप ॐ घृणी सूर्याय नमः का जप करें।
कर्क- ही हू हे हो डा डी डू डे डो
हानि आर्थिक क्षति। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
सिंह- मा मी मु मे मो टा टी टु टे
लाभः समय लाभकारी है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।
कन्या- टो पा पी पु ष ण ठ पे पो
सुख समय अनुकूल है। इस समय आप आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करें।
तुला- रा री रू रे रो ता ती तू ते
अपमान मानसिक तनाव हो सकता है। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
वृश्चिक- तो ना नी नु ने नो या यी यू
मृत्यु तुल्यकष्ट समय कष्टकारी हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
धनु- ये यो भा भी भु ध फ ढ़ भे
स्त्रिपीड़ा पीड़ादायक समय हैं। इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।
मकर- भो जा जी खी खु खे खो गा गी
सौख्यम लाभकारी समय हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कुम्भ- गु गे गो सा सी सु से सो दा
चिन्ता समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप बजरंग बाण का पाठ करें।
मीन- दी दु थ झ ञ दे दो चा ची
व्यथा समय अनुकूल है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।
सुझाव- सूतक लग जाने पर मंदिर में प्रवेश करना, मूर्त्ति को स्पर्श करना, भोजन करना, मैथुन करना, सोना, यात्रा करना इत्यादि वर्जित है लेकिन बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं।
भोजन सामग्री जैसे दूध, दहीं घी जल इत्यादि में कुश या तुलसी दल रख दें।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल मे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
किसी वस्तु को काटने, चाकू, हसिया या धारदार चीजों इत्यादि का प्रयोग नही करना चाहिए। तथा घर के बाहर नही जाना चाहिए गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगायें। गर्भवती स्त्रियाँ ग्रहण के चार घंटे पूर्व तक भोजन कर सकती है।
ग्रहण के पश्चात दान उपदान, पवित्र नदियों में स्नान इत्यादि करना श्रेयस्कर बताया गया है अत: स्नान दान करके भोजन करें।
- गोविन्द प्रसाद पाण्डेय की रिपोर्ट
आषाढ़ कृष्ण पक्ष 30 (अमावस्या) रविवार (21 जून 2020) को (चूड़ामणि योग) खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा एवं यह ग्रहण मध्य अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन, ताइवान, अरब, पाकिस्तान इत्यादि देशों में भी देखने को मिलेगा।
खण्डग्रास सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र तथा मिथुन राशि मन्डल पर होगा। अतः इन राशि नक्षत्र वालों कों ग्रहण का दर्शन नही करना चाहिए। बल्कि अपने इष्टदेव की आराधना, गुरुमंत्र जाप, एवं धार्मिक ग्रंथो का पठन पाठन करना चाहिए। क्योकि ग्रहण काल में किया गया जप अनुष्ठान आदि अनंत गुना फल व अभीष्ट सिद्धि प्रदान करता है। ग्रहण का मोक्ष (समाप्ति) आर्द्रा नक्षत्र में होगा।
सार्वभौमिक परिदृश्य में इसका समय (भारतीय मानक समयानुसार) - ग्रहण का स्पर्श प्रात: 9:16 मिनट
ग्रहण का मध्य मध्यान्ह 12:10:मिनट
ग्रहण मोक्ष 15:04 मिनट पर होगा। धर्मशास्त्रों के अनुसार सूर्यग्रहण में 12 घंटे पहले से ही सूतक लग जाता है।
ध्यान रखें सूर्य ग्रहण का समय हर स्थान में अलग - अलग होगा।
सोनभद्र, मिर्जापुर, भदोही, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर व काशी में ग्रहण का समय दिन में 10:31 से लेकर मध्य दिन में 12:18 तक और मोक्ष दिन में 02:04 पर होगा।
खण्डग्रास सूर्य ग्रहण का भारत में पड़ने वाले प्रभाव-
ज्योतिर्विद आचार्य गोविन्द पाण्डेय के अनुसार- सूर्य चंद्र बुध सूर्य राहु की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं बुध, गुरु, शुक्र शनि राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति ।
इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकती है।
जैसे - आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना, भूकम्प, तूफान, उच्चस्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु, एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है।
विभिन्न राशियों के फल:-
नामाक्षर, राशिफल और सुझाव-
मेष-
चु चे चो ला ली लू ले लो अ
श्री: समय लाभदायक रहेगा । इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवायः का जप करें।
वृष- ई उ ए ओ वा वी वू वे वो
क्षति: समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप ॐ गं गणपतये नमः का जप करें।
मिथुन- का की कु घ ङ छ के को हा
घातः मानसिक परेशानी। इस समय आप ॐ घृणी सूर्याय नमः का जप करें।
कर्क- ही हू हे हो डा डी डू डे डो
हानि आर्थिक क्षति। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
सिंह- मा मी मु मे मो टा टी टु टे
लाभः समय लाभकारी है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।
कन्या- टो पा पी पु ष ण ठ पे पो
सुख समय अनुकूल है। इस समय आप आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चै का जप करें।
तुला- रा री रू रे रो ता ती तू ते
अपमान मानसिक तनाव हो सकता है। इस समय आप ॐ नमः शिवाय का जप करें।
वृश्चिक- तो ना नी नु ने नो या यी यू
मृत्यु तुल्यकष्ट समय कष्टकारी हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
धनु- ये यो भा भी भु ध फ ढ़ भे
स्त्रिपीड़ा पीड़ादायक समय हैं। इस समय आप ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें।
मकर- भो जा जी खी खु खे खो गा गी
सौख्यम लाभकारी समय हैं। इस समय आप हनुमान चालीसा का पाठ करें।
कुम्भ- गु गे गो सा सी सु से सो दा
चिन्ता समय अनुकूल नहीं है। इस समय आप बजरंग बाण का पाठ करें।
मीन- दी दु थ झ ञ दे दो चा ची
व्यथा समय अनुकूल है। इस समय आप गायत्री मंत्र का जप करें।
सुझाव- सूतक लग जाने पर मंदिर में प्रवेश करना, मूर्त्ति को स्पर्श करना, भोजन करना, मैथुन करना, सोना, यात्रा करना इत्यादि वर्जित है लेकिन बालक, वृद्ध, रोगी अत्यावश्यक में पथ्याहार ले सकते हैं।
भोजन सामग्री जैसे दूध, दहीं घी जल इत्यादि में कुश या तुलसी दल रख दें।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल मे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
किसी वस्तु को काटने, चाकू, हसिया या धारदार चीजों इत्यादि का प्रयोग नही करना चाहिए। तथा घर के बाहर नही जाना चाहिए गर्भवती महिलाएं पेट पर गाय के गोबर का पतला लेप लगायें। गर्भवती स्त्रियाँ ग्रहण के चार घंटे पूर्व तक भोजन कर सकती है।
ग्रहण के पश्चात दान उपदान, पवित्र नदियों में स्नान इत्यादि करना श्रेयस्कर बताया गया है अत: स्नान दान करके भोजन करें।
- गोविन्द प्रसाद पाण्डेय की रिपोर्ट