गौतम विश्वकर्मा के अनमोल वचन-

सोनभद्र  
 
 गौतम विश्वकर्मा के अनमोल वचन 

1- अनुशासन में हीं सफलता निहित है।
2- खुद को कमजोर समझना, सबसे बड़ी कमजोरी है।
3- संयम सफलता का उत्तम साधन है।
4- प्रसन्नता स्वास्थ्य देती है, विषाद रोग देता है।
5- आधे - अधूरे प्रयास से सफलता नहीं मिलती है।
6- मदद करना अच्छा है किन्तु नुकसान न पहुँचाना उससे भी अच्छा है।
7- किसी की मूर्खता पर क्रोध करना भी एक प्रकार की मूर्खता है।
8- जीत की अपेक्षा हम पराजय से अधिक सीखते हैं।
9- धैर्य,  विवेक और उद्यम ही मनुष्य के सच्चे मित्र होते हैं।
10- शत्रु केवल देह पर आघात करता है लेकिन स्वजन ह्वदय पर।
11- भाग्य भरोसे रहने वाले हीं निराश होते हैं।
12- एकता का किला ही सबसे सुदृढ़ होता है।
13- व्यर्थ की होड़, सबसे कष्टदायक होता है।
14- सफलता एक यात्रा है, गन्तव्य नहीं।
15- साहसी व्यक्ति के सामने भाग्य भी झुक जाता है।
16- स्त्रियाँ घर की लक्ष्मी होती हैं, उनका आदर व सम्मान करें।
17- माता-पिता की सेवा ही पुत्र का परम धर्म है।
18- किसी से इतना भी अधिक प्रेम मत करिए कि उसके बिना जीना मुश्किल हो जाये।
19- सच्ची सेवा करिए, दिखावा नहीं।
20- असफलता यह सिद्ध करती है कि आपने सही समय पर कठिन परिश्रम नहीं किया है।


                                  लेखक-
                            गौतम विश्वकर्मा 
          संस्थापक- सोनभद्र मानव सेवा आश्रम (ट्रस्ट) 
                       सुकृत -सोनभद्र (उ0प्र0)



                     -अरुण कुमार गुप्ता की रिपोर्ट 


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