ग्राम्या संस्थान के तत्वावधान में मनाया गया राष्ट्रीय शोक दिवस।

नौगढ़  (चंदौली)

          लॉकडाउन से प्रभावित लोगों के जीवन व आजीविका की जवाबदेही  की मांग के  लिये 1 जून 2020 राष्ट्रीय  शोक का आह्वान दिवस पर ग्राम्या संस्थान द्वारा नक्सल प्रभावित  क्षेत्र नौगढ़ विकासखंड के लालतापुर गांव में शोक व्यक्त किया गया।
         आज कोरोना वायरस ने हमारे जीवन को बदल दिया है,  आज से 4 माह पूर्व ये किसी ने नही सोचा था की यह सामने आने वाला है और अब शायद वो माह पूर्व वाले दिन नही आएंगे।
100 सालों के सबसे कठिन दौर में गुजर रहे हैं हम इस महामारी ने समाज के अलग-अलग समूहों को अलग तरह से प्रभावित किया है लेकिन सबसे ज्यादा आघात हमारे देश के श्रमिकों के ऊपर आया है। गायब हो रहे रोजगार, भूख से पैदल सड़कों पर धकेले गए, घायल व तनाव भरे दिन और यह अनिश्चित माहौल इस दरमियाँ की हकीकत बना है।
रोजी - रोटी अधिकार अभियान उत्तर- प्रदेश 1 जून को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाने की घोषणा की है लॉकडाउन के दौरान बेहद अव्यवस्था के चलते और सरकार की उपेक्षा के कारण प्रवासी मजदूरों व बच्चों की होने वाली मौतें बहुत दुखद हैं, अभियान इसकी घोर निंदा करता हैं। ग्राम्या संस्थान की निदेशक बिंदु सिंह ने कहा कि कोविड -19 के चलते अचानक देशव्यापी लाकडाउन किया गया जिससे पुरे देश में अनिश्चितता की स्थिति बन गई है।
सरकार द्वारा कोई समुचित दिशा निर्देश न होने के कारण गर्भवती महिलायें, बच्चे, बुजुर्ग, विकलांग व अन्य सभी अपने घरों तक पहुँचने के लिए बिना साधन के पैदल ही वापस घरों के लिए निकल पड़े,  उनके लिए रास्ते में कोई सुविधा तो थी नहीं उनके साथ अमानवीय व्यव्हार किया गया वो अलग से एक सरकारी आंकड़े के अनुसार 30 लाख से ज्यादा मजदूर वापस उत्तर प्रदेश लौट रहे हैं।
        इस स्थिति में सरकार द्वारा की गई अनदेखी के कारण 22 मई तक देश भर में 667 मौते हुई हैं जिसमें सड़क दुर्घटना से 205, भूख से 114 मौतें हुई हैं, हम नही भूल पाए हैं कि उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में सड़क दुर्घटना में 24 मजदूरों की मौत व 35 घायल, मुज्ज़फ्फरनगर में पैदल चल रहे मजदूरों को बस ने कुचल दिया गया ऐसी अनगिनत घटनायें देश भर में हुई हैं और अभी भी हो रही है संस्थान की नीतू सिंह ने कहा कि हम केंद्र व राज्य सरकार से मांग करते हैं कि दुसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों को समस्या न हो इसलिए उनके साथ सबसे पहले अच्छा व्यवहार किया जाये, उनके लिए कुछ मुलभूत व्यवस्था अवश्य की जाये, इसके अलावा अभियान पुरज़ोर तरीके से यह भी मांग करता है-
किसी को राशन की कामी न हो- 35 किलो राशन प्रति परिवार, कम से कम 2 किलो दाल, 2 लीटर खाद्य तेल व नमक, चीनी व खाद्य मसाला भी शामिल किया जाये। राशन मिलने के लिए किसी कागज अवश्यकता नही होनी चाहिए। सभी को 3 महीने का राशन नही एक साल का फ्री राशन चाहिए।
         रोजगार गारंटी के कानून के लिए पर्याप्त फंड हो। सभी ग्रामीण परिवारों को उनकी मांगों के अनुसार काम मिले श्रमिक परिवारों को काम मिलना सुनिश्चित किया जाये इस दौरान त्रिभुवन मदन मोहन रामबली रामविलास जयप्रकाश  रामा धर्मेंद्र पन्नालाल आदि लोग शामिल रहे।

             

           -नौगढ़ ब्लॉक ब्यूरो चीफ मदन मोहन की रिपोर्ट 



                               सच्चाई की डगर पर .....


            

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