यूरिया खाद को लेकर किसानों ने सहकारी समिति पर किया सरकार विरोधी नारेबाजी

ककराही-सोनभद्र :
यूरिया खाद के लिए किसान घंटों लाइन में खड़े होने को मजबुर हो चुके हैं, फिर भी किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल रही है आलम यह है कि 270 रुपये बोरी वाली यूरिया  370 रुपये में बिक रही है, वहीं महंगी यूरिया के लिए इन दिनों जिले में किसान हंगामा कर रहे हैं। सहकारी समितियों से यूरिया न मिलने से परेशान किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए निजी दुकानों से महंगे दामों में यूरिया खरीदनी पड़ रही है। 
जिले में इन दिनों किसान यूरिया के लिए सहकारी समितियों के बाहर घंटों लाइन लगा रहे हैं। कई दिन चक्कर लगाने के बाद किसानों को अपनी फसलों के लिए यूरिया नहीं मिल रही है। ऐसे में परेशान किसान कहीं हंगामा कर रहे हैं तो कहीं मारामारी की नौबत आ जाती है तो कहीं किसानों द्वारा सरकार विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। कई किसानों का आरोप है कि सहकारी समितियों से कालाबाजारी होने की वजह से निजी दुकानों पर यूरिया खाद महंगे दामों में बेची जा रही है और बाजारों में खाद विक्रेता इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं। दुकानों में इन किसानों को जिंक का पैकेट भी खरीदने पर ही यूरिया की बोरी मिल रही है। यूरिया लेने के लिए किसानों की लगी लम्बी लाइन में किसान मुकेश कुमार तरंग बताते हैं कि "जो यूरिया 270 रुपये प्रति बोरी है वह निजी दुकानदारों द्वारा 350 से 370 रुपये में हम लोगों को मिल रही है, जबकि वहीं दुसरे किसान कल्लू बताते हैं कि "दुकानों में खाद नहीं मिल रही बल्कि जिंक भी जबरी साथ में दे रहे है दुकानदार।" इस समय किसानों को धान,  मक्का, टमाटर, मिर्च,  बैगन और अन्य फसलों के लिए यूरिया खाद की जरूरत है। सोनभद्र में सभी सहकारी समिति केन्द्रों के सहायक आयुक्त एवं निबंधक सहकारिता टी.एन. सिंह जी बताते हैं कि "पिछले वर्ष 4500 मीट्रिक टन में सभी किसानों को खाद मुहैया कराई गई थी और इस साल अब तक 9200 मीट्रिक टन खाद जिले में वितरण किया जा चुका है, तो अभी भी किसानों को यूरिया की मांग है।" आगे उन्होने बताया कि "जिले के 71 क्रय केंद्र पर दो दिन के भीतर 1100 मीट्रिक टन और यूरिया खाद उपलब्ध हो जाएगी जिसमें सभी किसानों को भरपूर उर्वरक मिल जाएगी। ऐसे में किसानों को किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।"
देश में यूरिया की खपत की बात करें तो दुनियां की सबसे बड़ी उर्वरक कम्पनी इफको ने वित्तीय वर्ष 2019-20 उर्वरकों का सबसे ज्यादा उत्पादन कर नया रिकॉर्ड बनाया है। इफको ने 133 लाख टन उर्वरक की बिक्री कर सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया। इसमें यूरिया का उत्पादन भी इस साल ज्यादा रहा। पिछले साल जहाँ 45.62 लाख टन यूरिया का उत्पादन किया था, वहीं इस वित्तीय वर्ष में 48.75 लाख टन यूरिया उत्पादन हुआ। देश में बढ़ते उत्पादन के बावजूद किसानों में यूरिया की मांग बढ़ने के सवाल पर द इंटरनेशनल प्लांट न्यूट्रीशन इंस्टीट्यूट (IPNI) - इंडिया प्रोग्राम के पूर्व निदेशक डॉ. के.एन. तिवारी ने बताते हैं कि "वास्तव में यूरिया फसलों में सीमित मात्रा में उपयोग की जानी चाहिए, ज्यादा उपयोग से उत्पादकता भी प्रभावित होती है, सरकार ने पहले खेतों में यूरिया की सीमित खपत के बारे में फैसला लिया भी था, मगर बाद में वापस ले लिया। ऐसे में जो समर्थ किसान हैं वो अपने पास यूरिया का स्टॉक कर लेते हैं।" डॉ. तिवारी कहते हैं कि "ज्यादा उत्पादन के लिए किसान अपनी फसलों में ज्यादा यूरिया डालता है, ऐसे में यूरिया की खपत भी बढ़ती जाती है और उसका खर्च भी बढ़ता है, इसलिए उत्पादन ज्यादा होने पर भी आम किसानों को समय पर यूरिया नहीं मिल पा रही है और मांग के अनुसार कमी सामने आ रही है।" 
जिले के किसान बताते हैं कि "हम पिछले दस दिनों से समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन हम लोगों को यूरिया खाद नहीं मिल पा रही है, जब जाओ तो समिति पर ताला लटकता हुआ नज़र आता है, सचिव को फ़ोन करो तो बताते हैं कि अभी खाद की रैक नहीं आई है।
ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि लाॕकडाउन, बरसात और फसलों पर कीटों के हमले के बाद भी किसानो की मुश्किलें थमने का नाम नही ले रही हैं।


   - ब्यूरो चीफ गोविन्द प्रसाद पाण्डेय की रिपोर्ट 

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