आइये पढ़ते हैं गौतम विश्वकर्मा द्वारा लिखित कविता
(कविता)
अकेले बढ़ते जा.... 2
जीवन में करना है संघर्ष....
आगे बढ़ना है संघर्ष....
अकेले बढ़ते जा.... 2
एक दिन होगा पीछे कारवां....
अकेले बढ़ते जा.... 2
आएगी एक दिन मंजिल तेरी....
तू कठिन मार्ग पर चलते जा.... 2
जीवन के इस दौर में....
अकेले बढ़ते जा.... 2
एक दिन होगा पीछे कारवां....
अकेले बढ़ते जा.... 2
रचनाकार :
गौतम विश्वकर्मा
संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष/प्रधान ट्रस्टी
सोनभद्र मानव सेवा आश्रम (ट्रस्ट)
मोबाइल- 9935694130
Tags:
कविता