रक्षाबंधन पर्व पर लिखी कविता-
भाई बहन के प्यार का त्यौहार आ गया।
रिश्तों का मधुर प्यारा सा संसार आ गया।
रेशम के एक धागे की कीमत महान है,
बहनों का खूबसूरत आधार आ गया।
संकल्प साधना है ये रक्षा जो बहन की,
समझो कि उसका बस यही अधिकार आ गया।
कितना पवित्र भाव है इस डोर के पीछे,
सदियों से चला आ रहा ब्यवहार आ गया।
ये तो सनातनी परंपरा की छाप है,
इस सभ्यता का मूल रुप सार आ गया।
आदर है और सम्मान है त्योहार का मक़सद,
इसके बहाने खुशियों का भंडार आ गया।
-क्षमा द्विवेदी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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