अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- तन्हा तन्हा इस शहर में
(गजल)
तनहा तनहा इस शहर में
तनहाई ने आवाज दी,
तेरा चेहरा याद आया
परछाई ने आवाज दी।
छुप गई पलकों में यूं
शाम की ये रौनकें,
दिल ने समझा कि कहीं
मैकशीं ने आवाज दी।
राहगीरों के मकां थें
हम कहां जातें किधर,
उम्रभर के ख़ालीपन में
ठोकरों ने आवाज दी।
नींद में भी आ के कोई
छेड़ता है इस तरह,
उठ के बैठें हम सहर
अंगड़ाई ने आवाज दी।
-अनूप कुमार श्रीवास्तव
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