सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना
(तीज गीत)
हे आदिदेव! भोले भंडारी।
व्रत करती भारतीय नारी।
अक्षय सुहाग की कामना,
रहती निर्जला व निराहारी ।
हरतालिका का पर्व विशेष।
लेशमात्र न रहे शंका शेष।
भक्त वत्सल परमेश्वर भी,
लेते परीक्षा बदल कर भेष।
चौक चंदन से सजाएं आँगन।
अति सुंदर अवसर यह पावन।
शिव पार्वती का करके वंदन,
माँगे अखंड सुहागमय जीवन।
सखियों संग झूला हैं झूलती।
चँद पलों को पीड़ा है भूलती।
मेहंदी का चटख रंग देखकर,
मन ही मन में खुशी से फूलती।
लोग गीत कजरी मल्हार गाते।
प्रिय पर्व को उत्साह से मनाते।
प्यारी बेटियाँ अपने घर आतीं ,
पीहर वाले शुभाशीष बरसाते।।
लेखिका- सीमा वर्णिका
कानपुर, उत्तर प्रदेश
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तीज गीत