आइये पढ़ते हैं उमा शर्मा ''उमंग" द्वारा गणेश चतुर्थी पर लिखी कविता
(गणपति वंदना)
हे सुबुद्धि के दाता स्वामी, मंगल मूर्ति मोरया।
आन विराजो घर में हमारे गणपति बप्पा मोरया।
जीवन के सारे काज हमारे, शुभ होते हैं तुमसे।
धर कर अपना वरद हस्त, और खुशियाँ देते मन से।
शैल सुता के सुत नंदन, तुम आन पधारो मोरया।
आन विराजो घर में--
गजराज, गजानन कहलाते, देवों के देव कहाते हो।
हर शुभ काम में सबसे, पहले पूजे जाते हो।
विघ्नहर्ता, पालन कर्ता स्वामी, लम्बोदर हे मोरया।
आन विराजो घर में--
हर बरस ही तुम आते हो, आ कर के चले जाते हो।
भक्तों के दुख को हर लेते, खुशियाँ हजार दे जाते हो।
मन में तो रहते हरदम साथ, करते उद्धार तुम मोरया।
आन विराजो घर में हमारे, गणपति बप्पा मोरया।
हे सुबुद्धि के दाता स्वामी, मंगल मूर्ति मोरया।
लेखिका- उमा शर्मा ''उमंग"
अनुज्ञा सदस्य,
डॉ सत्या होप टॉक झाँसी, उo प्रo
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गणेश चतुर्थी वंदना