रश्मि लहर जी द्वारा लिखी रचना- 'अनूठा सपना'

रश्मि लहर जी द्वारा लिखी रचना-  'अनूठा सपना'
थी शीतल हवा और प्रकृति का बिछौना ।
थीं सुधियां अनेकों तरल मन का कोना ।
वो बचपन जवानी
के सपनो की गठरी ।
तनिक कड़ुवे अनुभव की
बातें भी पसरीं ।
सुबह फिर ले आई है आहट पुरानी ।
वो सपनो के राजा लजाती सी रानी ।
छुपी मिल रही है
अठन्नी- चवन्नी ।
कबूतर से बातें 
मोहल्ले की मुन्नी ।
बड़ा ही अनूठा ये सपना दिखा था..
वो चंदन सा बचपन.. अचानक मिला था ।
भले गाल आंसू से,
भीगे मिले है, 
अमर हैं वो रिश्ते,
जो जीते मिले हैं..


-रश्मि लहर
डॉ सत्या होप होप टाक 
(अनुज्ञा सदस्या) 
लखनऊ, उत्तर प्रदेश 

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