आइए पढ़ते हैं सीमा वर्णिका द्वारा लिखे भजन
भजन
आए हरि तुम्हारे द्वार,
कर दो अब मेरा उद्धार।
छल प्रपंच का जाल,
रोग शत्रु डरावे काल,
घबराए बिना अपाल ,
रक्षा करो हे पालनहार,
आए हरि तुम्हारे द्वार,
कर दो अब मेरा उद्धार।
मन को नहीं है चैन,
तड़पे प्राण दिन रैन ,
दर्शन को तरसे नैन ,
जीवन हुआ है दुश्वार,
आए हरि तुम्हारे द्वार,
कर दो अब मेरा उद्धार।
न जाने विधि भक्ति की,
क्या गहराई आसक्ति की ,
दिशाहीन पड़ी शक्ति की,
हाथ पकड़ करो भवपार,
आए हरि तुम्हारे द्वार,
कर दो अब मेरा उद्धार।।
सीमा वर्णिका
कानपुर, उत्तर प्रदेश
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