डॉ अरुणा पाठक 'आभा' द्वारा लिखी रचना - हरियाली पावन तीज है आज देखो आई

डॉ अरुणा पाठक 'आभा' द्वारा लिखी रचना - हरियाली पावन तीज है आज देखो आई

हरियाली तीज
हरियाली पावन तीज है आज देखो आई
सबके मन को कैसी हरियाली लाइ
मेहंदी काजल बिछुआ महावर बिंदिया गजरा देखो
गोरी के सिंगार में आज लगे हैं न्यारा कैसे ये सबको सुहाई

कितना मनभावन कितना पावन तीज अनोखी छाई
सज धज कर सब नारी अनुपम सुहाई
भूखे प्यासे की सभी सुध भूल गई है
प्रेम में कृष्ण की गोपियां बनके सबको दिखाई

शंकर जी के पार्वती जी ने विधि विधान से पाई
अपने शंकर जी के लिए हर गोरा ने आज धूनी रमाई
सब कुछ भूल कर देखो कितने हैं पकवान बनाए
पूजा करने को है आतुर पति की उम्र बढ़ाई

नवयोवना के श्रृंगार से चारों ओर मधुरता छाई
देखो देखो आज सारी सृष्टि में नई हलचल मचाई
मन में है सबके विश्वास
जीत लेंगी पति का सुहाग
सुबह सुबह से नदी तालाबों में नहा शंकर को मनाई,

शाम होते होते विश्वास पक्का हो रहा है
प्रतिपल प्रतिक्षण समय को हरा अनुभव नया हो रहा है
करेंगी पूजा विधि विधान से शंकर पार्वती और पूरे परिवार को मनाएंगे
अपने पति के लिए सच्चे मन से सुहाग सजाएंगे

तरह-तरह के पकवान विधि विधान से बनाएंगी
फल फूल नैवेद्य से अर्पण कर शंकर पार्वती को मनाएंगी
अपने श्रद्धा और विश्वास से पति के दिल में नई प्यार की किरण बनेंगी
पति की आयु हो लंबी कठिन व्रत को निभाएंगी

सारी रात भजन कीर्तन कर अपना समय बिताएंगी
चार पहर अग्नि को हवन कर आशीष पाएंगी
पूरी रात बिना खाए पिए बिना सोए हुए रहें
चार बजे सुबह स्नान करके कठिन पूजा से नया फल पाएंगी।

डॉ अरुणा पाठक 'आभा'
 रीवा, मध्य प्रदेश 

 अध्यक्ष अनुज्ञा कार्यक्रम
 डॉ सत्या होप टॉक

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