सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना -प्रकृति की छटा

सीमा वर्णिका द्वारा लिखी रचना -
प्रकृति की छटा 

बह रही मदमस्त पवन। 
सतरंगा सुवासित चमन ।
हरी भरी बसुन्धरा प्यारी ,
फैला दूर तक नील गगन ।

आ स्याह मेघों ने डाला डेरा। 
वृक्षों पर पक्षियों का बसेरा। 
कल कल बहती नदिया को
सुन्दर पहाड़ियों ने जा घेरा ।

मनभावन दृश्य यह प्यारा। 
सुगन्धित परिवेश यह सारा। 
भवभीति विस्मृत हो जाती 
पुनरूज्जीवन पाता मन हारा ।

अद्भुत अनुपम यह चित्रण। 
किस चित्रकार का सृजन। 
अभिव्यक्त करने में असमर्थ 
सहज नहीं प्रकृति का वर्णन ।।

  -सीमा वर्णिका
 कानपुर, उत्तर प्रदेश

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