प्यारे बापू : निर्मला सिन्हा

 प्यारे बापू : निर्मला सिन्हा

नहीं दिखते अब हमारे प्यारे बापू 
ना बातों में जिक्र होता हैं उनका ना पुरानी बातों में ।

वैष्णोजन तेने कहिए..गाकर पीड़ा 
जिसने भोगा था भूल बैठे उस सन्यासी को ईश्वर अल्लाह जिसने 
एक बोला था।

अहिंसा के थे पुजारी तुम, तलवार  भाला से नहीं था दूर दूर से नाता कोई ।

सत्य का पथ दिखाया जिसने उसको ही भूल बैठे हम।

चरखा चलाकर जिसने देश से अंग्रेजों को बाहर निकाला 
था।चरखा खादी से ही तो गांधी जी का नाता था ।

दिखता है नोटों पर बस उनका फोटो जिसे देख कर लेते याद हम।

भूल बैठी सारी दुनिया तेरे हर पाठ को अहिंसा नहीं नज़र आती कहीं 
हिंसा हीं हैं रेहन में ।

लेखिका- निर्मला सिन्हा
ग्राम जामरी, डोंगरगढ़, छत्तीसगढ़ 

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