सपना जिनका आजादी था : सरिता सिंह

सरिता सिंह द्वारा लिखी रचना- 
सपना जिनका आजादी था

(सपना जिनका आजादी था)

सपना जिनका आजादी था 
वह परिवर्तन की आंधी था।
 हम प्यार से कहते थे बापू ।
नाम करमचंद गांधी था।
  सपना उनका आजादी था।
 बिन हथियारों के लड़ते थे।
 कांधे पर खादी डरते थे।
 दुनिया में बदलाव को वो।
 सत्याग्रह भी करते थे।

जो अहिंसा के दीवाने थे।
देशभक्त की  परवाने थे 
धन्य हो गई भारत माता।
इसके वह रखवाले थे।
गुलामी की जंजीरों से।
 हम को मुक्त कराया था। 
सत्य अहिंसा का जिसने ।
सबको पाठ पढ़ाया था
जो अहिंसा के दीवाने थे।
देशभक्त की  परवाने थे 
स्वतंत्रता की बलिवेदी पर।
बापू वीर शहीद हुए।
भारत का मान बचाने को।
बुरा सुनो मत, बोलो देखो।
सत्य का पाठ पढ़ाने को।
गांधी जी ने सत्य अहिंसा।
का नारा लगाया था।
एकता का पाठ पढ़ाया था।
जो अहिंसा के दीवाने थे।
आजादी के परवाने थे ।
 हर गली मोहल्ले में उनके।
 नारे गूंजा करते थे।

डर से उनके अंग्रेजों की।
 बंदूके कांपा करती थी।
संकल्प लिए आजादी का।
  ऐसा फूंका लोगों में प्राण।
संग चल दी पूरी आबादी थी।
सत्य अहिसा ले के अस्त्र ।
लाए आजादी की आंधी ।
शत नमन उन्हें करते हैं हम।
दिलों में जिंदा आज भी गांधी।

-सरिता सिंह
 गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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