हाथ मलें ना मजदूर हमारे : अनूप कुमार श्रीवास्तव
(हाथ मलें ना मजदूर हमारे)
अगर आज मै गांधी होता,
बापू जी का सपना होता।1
हाथ मलें न मजदूर हमारे,
सब हाथों में दो पैसा होता।2
हर किसान फागुन गाता,
हर खेत में सावन होता।3
बड़की भी तब व्याहीं जाती,
छोटकीं का भी गौना होता।4
चाल न चल पातीं दुश्वारीं,
जब फसलों का गहना होता।5
बच्चे सड़कों पे भीख ना माँगें,
पढ़ने लिखनें का जज़्बा होता।6
छोटी कुटिया में रहना होता,
ताम झाम में ना फंसना होता।7
अगर आज मै गांधी होता,
बापू जी का सपना होता।8
राजघाट पर बैठके निस दिन,
मैलीं सियासतकीचादर धोता।9
हर किसान फागुन गाता,
हर खेत में सावन होता।10
-अनूप कुमार श्रीवास्तव
कानपुर, उत्तर प्रदेश
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