अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा लिखी गजल- मेरी खातिर जरा सा मुस्कुरा दो
गज़ल
जरा जुलफों में आसरा दिला दो
मेरी खातिर जरा सा मुस्कुरा दो।1
जिया कैसे यहां मिटके अभी तक ,
अगर चाहो यहां अपनी दुआ दो ।2
बिछड़ जाते जमाने में सभी तो
भरोसा तुम अपना तो दिला दो। 3
चमन उलझा कलीं तड़पी बचालों
बहारों यहां लाओ खुश्बू उड़ा दो ।4
रूठें चाहे देवा तैतिस करोणा,
मेरी माता मुझें दर्शन दिला दो।5
दंभी घमंडी सभी कैसे हुये है,
सभी में अपनत्व भी मां जगा दो। 6
लिखीं किसने मेरी किस्मत बता दो ,
खुआबों को मिरे नींदे जला दो।7
कसम अपनी नहीं रह गई यहां पे ,
यहा आकर मिरा पीना छुड़ा दो।8
उतर आयी सुरत दर्पन में जैसे,
मुझे अपने खुवाबों से मिटा दो।9
जुदा होने से पहले हि चलेंगे ,
जहां से भी फसाने तो मिटा दो।10
-अनूप कुमार श्रीवास्तव
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