राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी -अर्चना कोहली
(कविता)
कृशकाय तनु लेकिन इरादा अटल था
साधन अल्प पर देश-प्रेम प्रबल था।
सत्य-अहिंसा-शांति को ढाल बनाया
देश पर गांधी जी ने सब अर्पण किया।।
बम-तोप भी लाठी के आगे हार गए
अहिंसा-समिधा से आजाद करवा गए।
चरखे खादी से आत्मनिर्भर बना दिया
स्वाभिमान से रहना हमें सिखा दिया।।
भेद-भाव-भित्ति से देश संकुचित था
अस्पृश्यता के भंवर में देश व्यथित था।
आत्मबल से मिटाने का संकल्प लिया
एकता की राह पर देश को चला दिया।।
डांडी मार्च से फिरंगियों को हिला दिया
पैदल ही समर्थकों संग सफर तय किया।
रवींद्रनाथ ठाकुर से महात्मा नाम दिया
तो सुभाष चंद्र ने राष्ट्रपिता कह बुलाया।।
सत्कर्मों से गांधी जी अति महान बने थे
अनेक मुख्य आंदोलनों के प्रणेता बने थे।
स्वच्छ भारत का सपना इन्होंने देखा था
उसी की डगर पर आज समस्त देश है।।
"अंग्रेजो भारत छोड़ो" का नारा दिया था
देश से उन्हें भगाकर ही दम लिया था।
सदा चले सादा जीवन उच्च विचार पर
बल दिया इन्होंने सात्विक भोजन पर।।
महानता की पराकाष्ठा हैं राष्ट्रपिता गांधी
मातृ-पितृ भक्ति की एक मिसाल गांधी।
आज भी भारत की आत्मा में बसते हैं
युगपुरुष गांधी हरेक के मन में बसते हैं।।
-अर्चना कोहली
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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