माँ भगवती का आठवाँ स्वरूप महागौरी - हंसराज सिंह "हंस"
!! माँ भगवती का आठवाँ स्वरूप महागौरी !!
!! छन्द कुण्डलियाँ !!
कर त्रिशूल डमरू लिए, कोमल गौर शरीर।
श्वेत वृषभ आसीन माँ, दूर करो भव भीर।।
दूर करो भव भीर, महागौरी हे माता।
शान्त मृदुल हो आप, जगत की भाग्य विधाता।।
कहते कविवर 'हंस',भक्ति करता है जो नर।
रक्षा करतीं मातु, लिए डमरू त्रिशूल कर।।
यही हमारी याचना, स्नेहमयी से आज।
नारायणि गौरी महा, पूर्ण करो शुभ काज।।
पूर्ण करो शुभ काज, महागौरी हे माता।
नष्ट करो सब पाप, भक्त करते जगराता।।
कहते कविवर हंस, पूर्ण हो इच्छा सारी।
हो सबका कल्याण, कामना यही हमारी।।
- हंसराज सिंह "हंस"
सोनाई, करछना, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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महागौरी माता