सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - सम्मान

सीमा वर्णिका जी द्वारा लिखी रचना - सम्मान 
                   
                 सम्मान 

भले सम्मान न दीजिए ।
अनादर नहीं कीजिए ।
दंश हृदय में चुभ जाते,
यह गाँठ बाँध लीजिए ।

मान पर जब आ जाती।
चोट गहरी पहुँचाती । 
आहत मन होता व्यथित ,
वैमनस्य को  उपजाती।

मन दर्द से जब रोता ।
प्रेम सद्भावना खोता ।
घावों पर नमक मलकर,
संसार विषवृक्ष बोता ।

मन को खूब समझाना ।
धैर्य को भी अपनाना  ।
समय का तापमान पढ़, 
उलझे रिश्ते सुलझाना ।।

- सीमा वर्णिका 

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