जल संचयन
कल कल हर पल,
घर पर तल पर।
इधर उधर जल
नित वृथ बहना।
परम धरम यह,
मनुज बचत कर।
नित जल हर पल
जस यह गहना।
मनुज बचत कर,
विरथ बहत जल।
उचित जगह जल
सुबचत करना।
नगर शहर भर,
वद सब तुम कर।
प्रण सब निज कर,
जल शुचि रखना।।
-ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कानपुर, उत्तर प्रदेश
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