आइये पढ़ते हैं अर्चना कोहली जी द्वारा लिखी हास्य-व्यंग्य कविता
हास्य-व्यंग्य कविता
रोज सवेरे चाय पर पति से तकरार होती है
बिना बात ही बहस-बीज बोती वह रहती है।
पीते-पीते चाय पर मुद्दा बड़ा संगीन उठता
सुबह-सवेरे ही मूड़ मेरा बरबाद कर देता।।
क्या बनेगा आज नाश्ते में प्रश्न दागा जाता
सोच-विचार का कुछ समय मिल न पाता।
नाम कुछेक मैं पतिदेव को बतलाती जाती
सहमति न किसी पर भी उनकी बन पाती।।
आज गरम चाय पीने का मजा बेकार हुआ
बिना बात ही वाक-युद्ध का भारी वार हुआ।
अंत में कहा, जो खाना है अब बतला भी दो
बात का बतंगड़ बनाकर खुंदस न दिलाओ।।
क्यों नाश्ते पर हर रोज ही मुझे तंग करते हो
बिना कारण ही योद्धा बनकर जंग लड़ते हो।
घूमने-फिरने का गत इतवार वादा तुमने किया
क्या उससे बच निकलने का बहाना है बनाया।।
बेकार की बहस से दिन मेरा हो गया है खराब
शॉपिंग में हीरे का हार देकर कर दो हिसाब।
नाश्ता भी आगे से हर इतवार तुम्हीं बनाओगे
हरजाने में अबसे तनख्वाह हाथ में मेरे दोगे।।
-अर्चना कोहली
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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