सपनों का देश : निर्मला सिंहा
जहाँ खिले हर चेहरे, दिखे मुस्कुराहट नई सी,ऐसा मेरा सपनों का देश हो ।
जहाँ ना कोई अबला, ना कोई सबला हो, हर नारियों में मातृत्व प्रेम झलकता हो।
ऐसा मेरा सपनों का देश हो ।
जहाँ शासक सत्ताधारी होगा
पूजा पाठ जहाँ पर होगा, जनता के भगवान का ।
मैं देख रहीं हूँ ऐसा ही कुछ मेरा सपनों का देश होगा ।
सदियों से चलते आ रहे रूढ़िवादिता परम्पराओं का ना कोई रोल होगा, सदियों का अज्ञान, अंधेरा अब ना शेष रहेगा।
धर्म, जाति के मतभेदों का जहाँ
ना क्लेष रहेगा ।
भारत का हर वासी उसको अपना
देश कहेगा ।
जहाँ मिलेगा पुण्य सभी को, वीरों के बलिदान का, ऐसा मेरा सपनों का देश होगा ।
हवस के मारे जहाँ बेटियों की अस्मते लूटी जाती हो , ऐसे दहशतगर्दों को जहाँ सरे आम फांसी दी जाती हो।
जिस देश में बहु-बेटियां स्वतंत्र हो
ऐसा मेरा सपनों का देश हो ।
जहाँ हर युवक रोजगार हो ,
माँ-बाप का सपना सकार हो
ऐसा मेरा सपनों का भारत देश हो।
जहाँ ना किसी की वेदना की राग सुनाई दे ।
जहाँ ना कोई भूख से बिलखता
दिखाई दे ।
ऐसा सुखी संपन्न मेरा सपनों का देश हो, मेरा सपनों का भारत देश हो ।।
लेखिका साहित्यकार कवियत्री- निर्मला सिन्हा ग्राम जामरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़
Tags:
रचना