आइये पढ़ते हैं मीरा भारती द्वारा लिखी रचना - पायल
पायल में समन्वय-मंत्र
पायल की रुनझुन में, युग-मर्यादा
के लिए मां सीता की स्वीकार्यता है।
पायल की छम-छम में, कृष्ण-भक्ति
भावयज्ञ की राधा-नाम चरितार्थता है।
पायल के गतिमान संगीत में, नारी
की सेवा निष्ठा, स्नेह की साधना है।
पायल की झंकार में, सहजीवन संग
भोग वैराग्य मध्य अनासक्ति अर्चना है।
पायल झूमते जेवर- पिटक में, धारक
नारी मानस शोध करें, नव तकनीक।
क्षेम, नेह, मैत्री हेतु कुटुंब बंधे हैं।
पायल में, नारी के सब रूप सजे हैं।
प्रणम्य हैं, पायल-स्पर्शित नारी चरण।अर्पित सुमन उन्हें, करें वे नवनिर्माण।
- मीरा भारती
पुणे, महाराष्ट्र
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