आपकी इजाजत से
छोड़ देंगे उस दिन से पीछा तुम्हारा, जब पीछे से मुझे बुलाओगी...
मेरी उन कविताओं को जब, तुम गा-गा कर मुझे सुनाओगी...
भूल जाएंगे उन सब को, जो सोचे थे कई इरादे हम ...
तोड़ देंगे उन कसमो को, और जो मिलकर किए थे वादे हम ...
फिर बाद में तुम्हारे उस मोड़ के किनारे, इंतजार में तेरे ठहर जाएंगे कहीं..
फिर आकर वापस से जिंदगी में तुम्हारे, यादों के कहर बरसाएंगे नहीं...
फिर भी लिखते रहेंगे ना हम, कभी याद में तुम्हारे...
अपना लेंगे उन्हीं को जो मिलते थे बिछड़ने के बाद के सहारे ...
फिर एक आखिरी मुलाकात की जब आस हम लगाएंगे,
बिना इंतजार किए एक पल, हम पास तुम्हारे आएंगे ...
बस आरजू बरकरार रखना, फिर मुलाकात की दोबारा ...
वादा है तुमसे कि भूलेंगे नहीं, कसम से हम, कभी नाम यह तुम्हारा..
रचनाकार- विवेक राज श्रीवास्तव
कुशीनगर
Tags:
कविता