कथनी और करनी
कथनी मात्र एक प्रस्ताव ,
करनी कार्य का मूर्त रूप ।
जग महत्व करनी को देता ,
कथनी केवल शीत की धूप ।
मान सम्मान उसका बढ़ जाता,
जिसकी कथनी करनी एक ।
सदा प्रशंसा उनकी होती ,
कर्म ही जिनका मात्र विवेक ।
जिनकी केवल सुंदर कथनी ,
कभी ना बन पाए नायक ।
ऐसे लोग ना कभी आदरित ,
नाम रहा केवल खलनायक ।
करनी जिनकी अति सुंदर ,
लिखा जाता उनका इतिहास ।
लोकप्रियता सदा उनकी बढती ,
स्तुत्य बन जाता सदा प्रयास ।
करनी जिनका बना उद्देश्य ,
कथनी नहीं कभी जरूरी ।
करनी पर ही रखो भरोसा ,
कथनी तो केवल मज़बूरी ।
करनी पर ही रखो विश्वास ,
करनी सफलता का है मूल ।
करनी पर ही टिकी कामयाबी ,
कथनी जैसे चुभती शूल ।
- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई, महाराष्ट्र
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