नया वर्ष अभिनंदन
कोयल कूक कमल खिल कहते नया वर्ष अभिनंदन ।
बाला निडर बालपन विचरे अभय न कहीं विखण्डन।।
आगत के स्वागत में सरसों पीली चूनर ओढ़ खड़ी,
गेंदे फूल लहकते क्यारी हँसती गुल्दावदी लड़ी।
शीश झुका कर रहा दहेलिया उम्मीदों के संग वंदन।।कोयल.....
स्वागत में नदियों की धारा चलती है इतरा करके,
मोर नाचते वन उपवन में पंखों को बिखरा करके।
कलियों पर मंडरा कर भंवरा करता है मृदु लय गुंजन।।कोयल.....
करता दीन तुम्हारा स्वागत नई नई अभिलाष लिये,
संत मना जग हित में करता स्वागत पूजन जला दिये।
सूनी गोद भरो हे आगत झोली दीन कवी उर चिंतन।।कोयल......
घृणा द्वेष अज्ञान शीश पग धर कुचलो फैले वादों को,
ऐसी समरसता भर दो मन भूलें सभी विवादों को।
यही याचना नये वर्ष से हो भू भय पर मंथन।।कोयल...........
सदा सनातन धर्म संस्कृति का होता उत्थान रहे,
विश्व पटल पर भारत यश का तनता विमल वितान रहे।
रोग मुक्त सारी वसुधा हो दमके काया कंचन।। कोयल...…...
रचनाकार- डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला
लालगंज, प्रतापगढ़
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