क्रांति ज्योति माता सावित्री बाई फुले
क्रांति और ज्ञान की ज्योति माता को वंदन है बार-बार ।
मिला नारी को अधिकार माँ सावित्री फुले का है उपकार।
नारी मुक्ति आंदोलन नेत्री बनकर अभियान चलाया।
पति ज्योतिबा फुले जी ने, कंधे से कंधा मिलाया।।
प्रथम महिला शिक्षिका ने किया सदैव समाज सुधार।
क्रांति और ज्ञान की ज्योति माता को वंदन है बार-बार।
विधवा विवाह, बाल विवाह, छुआछूत और सती प्रथा।
कई कुरीतियां दूर करके खुशियां दी जग को सदा।
बीमारों का महामारी में भी करती रही सेवा- उपचार।
क्रांति और ज्ञान की ज्योति माता को वंदन है बार-बार।
समाज के ठेकेदारों ने इनके राह में नित रोड़ा लगाया।
सतारा के जगमग सितारे पर गोबरऔर पत्थर बरसाया।
तोड़ सामाजिक बंधन पति का किया अंतिम संस्कार।
क्रांति और ज्ञान की ज्योति माता को वंदन है बार-बार।
धन्य मराठी कवयित्री जो बनी वंचितों की आवाज।
जाति धर्म का बंधन तोड़ें आओ मिलकर हम आज।
तभी वीरांगना सावित्रीबाई फुले जी लेंगी फिर अवतार।
क्रांति और ज्ञान की ज्योति माता को वंदन है बार-बार।
रचनाकार-
चितरंजन कुमार चौहान
सूरजपुर, छत्तीसगढ़