शत शत नमन आपको हे भारतीय संविधान के निर्माता

शत शत नमन आपको हे भारतीय संविधान के निर्माता
भारत की माटी भी गर्वित हुई तुम जैसा रत्न पाकर,
"भारत रत्न" से सुशोभित हुईं नाम आपका स्वर्णाक्षरों में सजकर,
"सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सनतु निरामया" के सिद्धांत पर नए भारत का निर्माण किया..
अनेकता में एकता, आरक्षण का सही रास्ता दिखाया..
शोषित, दलित गरीब जनता का दर्द करीब से जाना,
एकजुटता का संदेश दे, हाथ उनका थामा..
श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया,
14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश इंदौर में हुआ जन्म, जन कल्याण कार्य हेतु सबने गॉड फादर कह बुलाया..
"गौतम बुद्ध", "कबीर" और "ज्योतिबा फुले" को अपना गुरु माना..
अछूत जाति का कहकर सामाजिक शोषण का हुए शिकार,
बदले में हमें दे गए समानता और संविधान का अधिकार...
लाख बाधाओं के होते हुए भी, उच्च शिक्षा हासिल की,
संघर्षमय जीवन में भी, धैर्य और संयम की हमें प्रेरणा दी ..
"भारत का राष्ट्रीय अंश", "भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण" कितने सारे पुस्तक इनकी लेखनी से सुशोभित हुए,
छुआछूत के लिए संघर्ष, समाज सुधार के लिए कितने कार्य किए..
दलितों के उत्थान के लिए कितने क्या क्या नहीं किए..
ईश्वर स्वरूप पूजते हैं सभी, हे नवभारत के निर्माता शत शत नमन आपको,
श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं, भारत का जन जन आपको..

 रचनाकार - उमा पुपुन
रांची, झारखंड

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