आज भी है
तू नसीब में नहीं है मेरे,
पर मोहब्बत तो आज भी है।
हमसफ़र नहीं है तू मेरा,
पर दोस्त तो आज भी है।
मुकद्दर में नहीं है मेरा संग तेरे चलना,
पर दिल में आशियाना आज भी है।
बिछड़ कर तुमसे दर्द होता है मुझे,
पर दोस्ती की मरहम आज भी है।
रचनाकार- प्रतिभा जैन
टीकमगढ़ मध्य प्रदेश
Tags:
रचना/ संपादकीय