दान
कुछ खास गुणों के कारण ही,
मनुष्य जग में बना महान।
स्वतः हेतु नहीं जीता है,
निर्धनों को करता दान।
बड़े-बड़े ज्ञानी गुरुजन तो,
करते स्वतः विद्या का दान।
माँ लक्ष्मी की कृपा जिन पर,
धन दौलत दे पाएं सम्मान।
कई तरह के दान विश्व में,
सबका अपना -अपना सम्मान।
अन्नदान, श्रमदान, रक्तदान,
अंगदान भी बड़ा महान।
बड़ी प्राचीन और सम्मानित,
दान की यह सुंदर प्रथा।
राजा हरिश्चंद्र का राज्यदान,
जग प्रसिद्ध यह उत्तम कथा।
प्रत्येक दान में सबसे ऊपर,
सर्वाधिक चर्चित कन्यादान ।
माता - पिता आनंदित होते,
अत्यंत प्राचीन यह दान विधान।
दानवीरों की यह धरती है,
अनादिकाल से आज तक।
जग कल्याण हेतु दान किए,
निज शरीर भी राज तक।
महात्मा शिवि, ऋषि दधीचि,
दानवीर कर्ण और बालि महान।
खुद की चिंता नहीं किए,
किए एक आदर्श निर्माण।
दानी जग में सदा से पूजित,
आज भी उनका ऊँचा स्थान।
अत्यंत पुनीत यह कार्य है,
मिले सदा मान सम्मान।
अगर प्रभु ने आपको भी,
सक्षम और समृद्ध बनाया।
दान परंपरा रखिये कायम,
बहुतों का कल्याण समाया।
रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई (महाराष्ट्र)
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रचना/ संपादकीय