पिता जी
पिता समान कोइ नहीं,
पिता ही सब संसार।
पिता सूर्य परिवार के,
करे दूर अंधकार।१।
चरणों में भागीरथी,
चरणों में सब धाम।
सातों अम्बर में नहीं,
पिता जैसा निष्काम।२।
खिलता बचपन बाँह में,
नैनों में विश्वास ।
दिल में दरिया प्रेम का,
हो पल-पल आभास।३।
दिव्य भव्य उपहार है,
ईश्वर का वरदान।
धरती के भगवान ये,
हर दिल का अभिमान।४।
पिता ही स्वाभिमान है,
पिता ही अभिमान।
पिता ही जीवन सार हैं,
पिता ही हैं सम्मान।५।
पिता बिना कुछ भी नहीं,
नहीं सुख का भान।
पिता बिना जीवन जहर,
बंजर मरू समान।६।
- सुखमिला अग्रवाल भूमिजा
जयपुर, राजस्थान
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रचना/ संपादकीय