दर्द ए मोहब्बत
लोग कहते हैं मोहब्बत जिंदगी देती है,
पर हम तो कब के मर चुके हैं॥
जिस दिल में तेरा नाम बसा था,
मैंने वो दिल तोड़ दिया।
ना होने दिया बदनाम तुझे,
तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया॥
जा भुला दिया है तुझे तू मेरा जिक्र ना कर,
मेरे खैरियत की अब तू फिक्र ना कर॥
छोड़ दे तन्हा मुझे मेरे हाल पर,
तू दर्द देकर हमदर्द बनने की कोशिश ना कर॥
लेखक- पं० आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर
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रचना/संपादकीय