तेरी याद
कभी याद तेरी भुलाती नहीं है।
हमें रात भर नींद आती नहीं है।।
मिटाने कि कोशिश करूं लाख दिल से।
अदा आपकी भूली जाती नहीं है।।
शमा बुझ गई आप बिन आशियां में।
दिवाली कि रौनक सुहाती नहीं है।।
जहां में हजारों कि महफिल जमा है।
कहीं जान मेरी दिखाती नहीं है।।
दिवाना बना के हमे छोड़ बैठे।
खता क्या किया मै बताती नहीं है।।
फिजा जिस मका में मधुर गीत गाया।
खनक चूड़ियों की सुनाती नहीं है।।
बहे आंसुओं से भरा है समन्दर।
वहां एक आंसू बहाती नहीं है।।
हमे देख गम में खुदा रो दिया है।
तरस वो तनिक फिर भी खाती नही है।।
बिना जान तेरे न "रवि" जिएगा।
दवा दर्द दिल का मिटाती नहीं है।।
रचनाकार- रवि कुमार दुबे
रेनुसागर, सोनभद्र
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रचना/ संपादकीय