एक गरीब व्यक्ति कैसे हंसता व रोता है? जानने के लिए पढ़ें पूरा लेख
किसी गांव के पास एक फिल्म की शूटिंग हो रही थी।
डायरेक्टर को एक गरीब व्यक्ति की जरूरत हुई ।
उसने अपने एक सहायक को भेजकर गांव के बाहर बने झोंपड़े से एक व्यक्ति को बुला लिया।
‘एक्टिंग करेगा?’-डायरेक्टर ने उस फटेहाल गरीब से पूछा।
‘खाना मिलेगा?’-वह खुश हो गया।
‘मिलेगा, पर पहले छोटी सी एक्टिंग।’-
डायरेक्टर को डर था कि कहीं खाना खाकर वह कोई समस्या खड़ी नहीं करे।
वह राजी हो गया।
डायरेक्टर को एक दृश्य करना था जिसमें सड़क पर चलते एक राहगीर को किसी गाड़ी में जाती लड़कियों को देख सीटी बजाकर जोरों से हंसना था।
उसे राहगीर के हिसाब से कपड़े पहनाए गए जो उस गरीब के लिहाज से बहुत अच्छे थे।
वह हंसा।
बिना किसी रिटेक के उसकी वास्तविक हंसी देख डायरेक्टर दंग रह गया।
अगले दृश्य में कार में चलती उन्हीं लड़कियों में से एक के द्वारा उसे थप्पड़ मार दिए जाने पर उसे रोना था।
वह रोया। फफक कर रोया।
डायरेक्टर ने उसे खाना खिलाया और कुछ पैसे भी दिए।
‘तुमने हंसने की इतनी अच्छी एक्टिंग कैसे कर ली?’-
उसने गरीब व्यक्ति से अपनी हैरानी जाहिर की।
वह फिर हंसा। कहने लगा-‘मैं बहुत भूखा था।
मुझे यह सोच हंसी आ गई कि पेट में दो दिन से अन्न नहीं और हंसने को कहा जा रहा है।’
‘अच्छा!’-डायरेक्टर ने आंखें मिचमिचाते हुए पूछा-‘और फिर इतनी अच्छी तरह से रो पड़े।’
‘हां!’-उसके फिर आंसू निकल आए-‘झोंपड़ी में बीमार पत्नी है।
कभी वह भी इन लड़कियों जैसी खूबसूरत दिखती थी पर अब...।
बस उसे याद करके रो पड़ा साहब!’
लेखक- ..............
साभार- फेसबुक
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