हम तुम्हारे हुए

हम तुम्हारे हुए
तुम हमारे हुए, 
कितने प्यारे हुए। 
इक मुलाक़ात में, 
हम तुम्हारे हुए।। 

इश्क़ आगाज़ है, 
चांदनी रात है, 
जगमगाता ये
तारों की बारात है।
हौले-हौले मोहब्बत
की शुरुआत है, 
आशिकाना सनम
तेरा अंदाज़ है। 
दोनों इक दूजे के
अब सहारे हुए।
इक मुलाक़ात में,
हम तुम्हारे हुए।। 

तेरा-मेरा सनम
तार जबसे जुड़ा, 
सारी दुनिया का है
होश तबसे उड़ा। 
मिल गई क़ामयाबी
हमें चाँद की, 
राह मुश्किल था
बेशक़ फ़तह है बड़ा। 
ख़्वाब बरसों के
पूरे वो सारे हुए। 
इक मुलाक़ात में, 
हम तुम्हारे हुए।। 

रचनाकार- 
शेख रहमत अली "बस्तवी"
बस्ती (उ, प्र,) 

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने