आइये पढ़ते हैं पं० आशीष मिश्र उर्वर जी द्वारा लिखी रचना- यादें

आइये पढ़ते हैं पं० आशीष मिश्र उर्वर जी द्वारा लिखी रचना- यादें 

  यादें 

भुलाओगे जितना पास आती हैं यादें,
अकेले में अक्सर रूलाती हैं यादें ।
अपना बनाकर सताती हैं यादें,
रूलाती हैं हमको हंसाती हैं यादें।
जगाती हैं हमको सुलाती हैं यादें,
यादों में अक्सर याद आती हैं यादें।
दिल के कोने में बस जाती हैं यादें,
रह रह कर अक्सर चुभ जाती हैं यादें।
हर मौसम में याद आती हैं यादें,
मगर कम नहीं कुछ तरक्की की यादें,
हर सुख-दुख के लम्हें बताती हैं यादें।
जीवन को राह दिखाती हैं यादें,
हर लम्हो की याद दिलाती हैं यादें।
हर पल याद में चुभ जाती हैं यादें,
बीते हुए कल को बताती हैं यादें।
गुनाहों को तेरे गिनाती हैं यादें ,
हंसाती हैं हमको रूलाती हैं यादें।
जिंदगी की दूरियां मिटाती हैं यादें,
गिराती हैं हमको उठाती हैं यादें।
जीवन की कड़ियां बनाती हैं यादें ,
चुभा कर हृदय को दुखाती हैं यादें।
हर सुबह कुछ नया सिखाती हैं यादें,
बिन मौसम बरसात कराती हैं यादें।
भुलाओगे जितना पास आती हैं यादें ,
अकेले में अक्सर रूलाती है यादें।।

साहित्यकार एवं रचनाकार- 
पं० आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर

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