श्री गणेश
देवों के देव , महादेव जी ,
उनके पुत्र श्री गणेश की जय हो ।
गौरीसुत, लंबोदर की कृपामात्र से,
समस्त लौकिक पापों का क्षय हो।
हे लंबोदर , प्रथमेश्वर , विघ्नेश्वर ,
अवनीश , गदाधर , पीतांबर ।
जय हो , विनायक , वक्रतुंड की ,
रक्षा करें , गणपति , एकाक्षर ।
भालचंद्र , श्री महागणपति की ,
सदा सर्वदा ही जय हो ।
भक्ति करें श्री गणेश महाराज की ,
गजानन कृपा तो सबकी विजय हो।
रिद्धि , सिद्धि सदा सुख प्रदात्री ,
ये देवियाँ करें सबका कल्याण ।
भक्त रक्षक श्री गणपति ,
प्रथम देव हैं देव महान ।
बुधवार इनका दिन अति पवित्र ,
प्रथमेश्वर् का पूजन वार ।
रक्षा करें सदा विश्व की ,
ले त्रिशूल , पाश , तलवार ।
भ्राता उनके कार्तिकेय जी ,
सुपुत्री दयावान संतोषी माता ।
अधिपति श्री गणेश जलदेव के ,
मोक्षदायक गजानन भाग्यविधाता ।
भक्तों के रक्षक , उद्धारक ,
मूसक है श्री गणेश सवारी ।
प्रिय भोग मोदक है उनका ,
आदिदेव वे सदा मंगलकारी ।
आओ पूजन करें एकाक्षर का ,
भक्त वत्सल श्री गणेश हितकारी ।
पूजन उनका है मंगलकारक ,
लाभप्रद , सुंदर और गुणकारी ।
रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई ( महाराष्ट्र)
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रचना/संपादकीय