लक्ष्य

लक्ष्य 
सफलता     प्राप्ति     हेतु   , 
लक्ष्य    बनाना    होता  है  । 
लक्ष्य   प्राप्ति    हेतु    हमें  , 
कर्तव्य  निभाना  होता  है  । 

सफलता राह चलते मिलेगी, 
यह  सोचना  भी  जड़ता है । 
इस     मामले    में    सदा  , 
मुँह  की   खाना  पड़ता  है ।

बिना    किसी    लक्ष्य   के , 
व्यक्ति   खुद   भटकता  है । 
सभी     लोगों    को     ही  , 
उसका  कार्य  खटकता  है । 

असफलता  अंततः  इसका  , 
दुष्परिणाम   ही    बनती है  । 
जीवन   पर्यंत   यह   क्रिया  , 
उसे  पीड़ा  बन  अखरती है ।

रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय 
 मुंबई ( महाराष्ट्र)

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