गुरु ज्ञान आधार
करना गुरु की वंदना, करना गुरु का जाप।
गुरू ज्ञान की रौशनी, स्वयं गुरू जी आप।।
गुरु बिन जीवन व्यर्थ है, गुरु बिन सब बेकार।
गुरू ज्ञान जिसको मिला,
हुआ जन्म साकार।।
अंधकार के फंद से, गुरू छुडावें आन।
हित्त-चित्त देकर सुनों, प्यारे गुरु का ज्ञान।।
गुरु शिक्षा की देहरी, अद्भुत देवस्थान।
ज्ञान ज्योत प्रतिदिन जले,
आलोकित प्रस्थान।।
- सुखमिला अग्रवाल भूमिजा
जयपुर राजस्थान
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रचना/संपादकीय