सोहर ( कृष्ण जन्म )
यशोदा नंद देवकी के लाल का खेलावंय।
प्रभु की लीला कोउ न जानै जन जन का बतलावंय।।
उदर माह नौ जेका पालीं,जेल व्यथा बिच सजग सभांलीं।
वहि नवजात शिशू जीवन हित उमगी जमुन पठावंय।।यशोदा.....
धन्य भाग कालिंदी जल की,नंद यशोदा प्रीति अटल की।
उछल लहर चरनन का चूमैं पुनि पुनि माथ लगावंय।।यशोदा........
सकल पहरुआ नींद में सोये,कोऊ न जाना कान्हा रोये।
मुक्त हुए वसुदेव सूप ले शिशु सिर गोकुल पठावंय।।यशोदा...........
प्रात बधइया नंद घर बाजी,द्वार गोप बालाएं नाची।
मगन देवकी जेल प्रभू से ,प्रभु की खैर मनावंय।।यशोदा...............
सुबह यशोदा कन्या रोदन,सुनि जागे प्रहरी कर्मी जन।
यह संदेश कंस घर द्रुतगति पहरेदार पठावंय।। यशोदा.........
- डाॅ0 रामसमुझ मिश्र अकेला
Tags:
रचना / संपादकीय/ मनोरंजन