हिन्दी दिवस महा महोत्सव कवि सम्मेलन वरिष्ठ साहित्यकार महेंद्र भट्ट ग्वालियर मध्य प्रदेश की अध्यक्षता में संपन्न।
संस्थाध्यक्ष डॉ० एस.पी. रावत एंव सुरेश कुमार राजवंशी के द्वारा आयोजित सितम्बर माह की मासिक गोष्ठी एवं सरस कवि सम्मेलन का आयोजन ऑनलाइन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ जगन्नाथ भारती, उन्नाव तथा विशिष्ट अतिथि जी श्री एल गाँधी, सीतापुर व अति विशिष्ट अतिथि प्रो• जयनाथ सिंह, गया, बिहार रहे।
कार्यक्रम का संचालन एवं संयोजन सुरेश कुमार राजवंशी लखनऊ ने किया।
कवि सम्मेलन का शुभारम्भ रश्मि लहर जी लखनऊ की वाणी वन्दना से हुआ। उपस्थित सभी कवियों एवं कवयित्रियों ने अपनी-अपनी प्रतिनिधि रचनाएं सुनाकर श्रोताओं और कवियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों में सर्वश्री राम रतन यादव, उत्तराखण्ड,संजय सागर, लखनऊ,एल• एल• दरसन, मध्य प्रदेश, जयवंती शोभा रंगू, मॉरीशस, सुनील कुमार वर्मा, भूटान, डाॅ० मेहंदी हसन ख़ान फ़हमी, लखनऊ, नवीन चंद्र बैसवारी, लखनऊ, संतोष सिंह हंसौर, बाराबंकी, इन्दु भार्गव, जयपुर, राजस्थान, प्रेम शंकर शास्त्री, लखनऊ, डाॅ इन्दु कुमारी, मधेपुरा बिहार, प्रवीणा कुमारी, सहरसा बिहार,नईमा परवीन, पटना बिहार,शशि, डाॅ० अलका अरोड़ा, देहरादून, शुचिता अजय श्रीवास्तव, उत्तराखण्ड, उमेश त्रिगुणायत, पीलीभीत,आभा मिश्रा, राजस्थान, उमाशंकर यादव नि:शंक, उन्नाव, राजवर्धन राज, एटा, सविता वर्मा ग़ज़ल, मुजफ्फरनगर रहे। कार्यक्रम में कवियों/कवयित्रियों ने कुछ यूॅं कहा-
पटरानी हिन्दी बनी, रानी भाषा शेष!
अपनाकर सब बोलियां, हिन्दी हुई विशेष!
महेन्द्र भट्ट
ग्वालियर मध्यप्रदेश,
परचम फहरे जगत में, हिन्दी देश पहचान ।
जन मानस भाषा बने, बढ़े जगत में मान।।
डाॅ एस पी रावत ,
बने राष्ट्रभाषा तभी, हो हिंदी सम्मान।
हिन्दी भाषी हम सभी, भाषा जननि समान।।
सुरेश कुमार राजवंशी,
गीता और रामायण हिन्दी।
गंगा जल सी पावन हिन्दी।।
डॉ.सविता वर्मा 'ग़ज़ल',
हिंद देश की हिन्दी हूं मैं घर में बनी हूं बेचारी।
इतनी समृद्धशाली हूं मैं क्या है मेरी
डॉ.इन्दु कुमारी मधेपुरा बिहार,
मिली है अगर जिंदगी तो खुलकर जिए,
जाने किस गली में जिंदगी कि शाम हो जाए।
नईमा परवीन पटना, बिहार,
नव पथ पर अपने चल दी है!
सँवरेगी विश्व-पटल पर भी ।
पहचाने जायेंगें हम सब;
शृंगार बनेगी बस हिन्दी!!
संजय सागर, लखनऊ ,
जब कदम धरा विद्यालय में..
हिन्दी का ऑंचल लहराया.!
दुनिया के कोने -कोने में;
हिन्दी ने परचम फहराया!!
रश्मि लहर, लखनऊ ।
हालांकि कुछ तकनीकी कारणों से कुछ साहित्यकारों का काव्य पाठ नहीं हो सका।
कार्यक्रम के अन्त में संस्थाध्यक्ष डॉ० सरस्वती प्रसाद रावत के द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित करते हुए समारोह के सम्पन्न होने की घोषणा की गई।
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