विश्व शिक्षक दिवस
शिक्षक ज्ञान का सुंदर वाहक ,
करता ज्ञान का सर्वोत्तम प्रसार ।
खुद दीपक सा जलकर भी ,
पूरे समाज का करे उद्धार ।
अनगढ़ पत्थर को मूर्ति बनाना ,
शिक्षक का कार्य बड़ा दुष्कर ।
अज्ञान के घोर तिमिर से ,
दूर निकाले हो खुद तत्पर ।
शिक्षक सदा पूजित समाज में ,
समस्त गुरुजन को सादर नमन ।
उपाधि ब्रह्मा , विष्णु , महेश की ,
कल्याणकारी है जिनका कथन ।
विद्या माता के सदृश हमारी ,
पिता सम शिक्षक को जानिए ।
यह परम ज्ञान मनु ने दिया ,
उन्हें आदि गुरु सम मानिए ।
गुरु वशिष्ठ , गुरु संदीपनी ,
शिक्षक एक से एक महान ।
ईश्वर को भी शिष्य बनाए ,
स्थापित किया उत्तम स्थान ।
शिक्षक कर्मठता की प्रतिमूर्ति ,
बच्चों को आदर्श बनाता है ।
प्रेरित करता निरंतर छात्रों को ,
उन्नत , उचित मार्ग दिखाता है ।
शिक्षक स्वयं राष्ट्र निर्माता है ,
खुद ही इतिहास बनाता है ।
प्रत्येक विषय का ज्ञान कराकर ,
राष्ट्र निर्माण सिखाता है ।
विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर ,
समस्त गुरुजन को सादर नमन ।
चरितार्थ करें अपने उपाधि को ,
यही सभी का नम्र निवेदन ।
रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई ( महाराष्ट्र )
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रचना / संपादकीय