जय माँ सिद्धिदात्री ( माँ का अंतिम स्वरूप)
माँ सिद्धिदात्री की , आज करें आराधना,
माँ पूर्ण करती लौकिक, पारलौकिक कामना।
कमल पर आसीन माँ, चार भुजा वाली,
अंतिम स्वरूप अम्बे, आठों सिद्धि देने वाली।
जो करे माँ की जप, तप, पूजा , अर्चना ,
बने कृपापात्र माँ का , न शेष रहे कामना।
माता आज आपसे , केवल एक प्रार्थना,
प्राण रक्षा करें सबकी , यही मेरी याचना ।
सुरक्षित रहें सभी , पाकर मां तेरा वरदान ,
तन, मन , धन माँ सब अर्पित, करो कष्ट संधान।
माँ रिद्धि, सिद्धि सबके हृदय में भर दें ज्ञान,
बुद्धि दें वंश में सभी के ,और चित्त में भरें ध्यान।
माँ सबके दुःख दूर कर, प्रदान करें अभय वरदान,
सज्जनों का हित कर, दें जगत में मान, सम्मान।
माँ निरोगी तन कीजिए ,सुंदर सदा मन कीजिए,
कष्ट का कर संहार , सुखमय जीवन दीजिए।
रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई, महाराष्ट्र
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