धनतेरस
धन की देवी लक्ष्मी माता, सब पर कृपा करें अपार ,
पूर्ण कामना हो सबकी , स्वतः विराजें सबके द्वार ।
धन धान्य से भरा सदन हो, सुख प्राप्त करे संसार ,
कोई इच्छा ना रहे अधूरी,बरसे हर पल असीम प्यार ।
कार्तिक माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को होती धनतेरस ,
भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन से निकले थे ले कलश ।
अमृत कलश ले स्वास्थ्य के सब गुण बता गए ,
स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन यह जता गए ।
अति पुनीत दिन आज का पूजित होते धन्वंतरि देव ,
स्वास्थ्य सभी मांगते उनसे करते कामना स्वमेव ।
भक्ति भाव से सब पूजन करते, मूर्तियाँ खरीदते ,
घर के मुख्य द्वार पर बड़ी भक्ति भाव से दीप जलाते ।
धन की खरीदी आज करने से कई गुना बढ़ जाता ,
धन त्रयोदशी दिन अति पुनीत भाग्य उदय गढ़ पाता ।
धन संपदा मिले , जीवन सबका सुखी हो जाए ,
भगवान धन्वंतरि प्रसन्न हों,स्वास्थ्य भी उत्तम हो जाए।
रचनाकार- चंद्रकांत पांडेय
मुंबई ( महाराष्ट्र )
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