"वृन्दावन" व्रज चौरासी कोस अन्तर्गत कोटवन अद्भुत सौन्दर्य पर्यटन स्थल
व्रजचौरासीकोसधाम के अन्दर। बसे कोटवन अद्भुत सुन्दर।। वृन्दावन से कोटवन आये। सुखद आत्ममुनि आश्रम पाये।। परमसन्त रामसुखदास सुख के धाम। सब सुख पायो हर्षित ललित ललाम।। उत्तर दक्षिण पूर्व सरोवर कटीले वन सोहे। पश्चिम मनहर उद्यान कदम्ब वन अति मन मोहे।। राम कृष्ण शिव परम तत्व। तुलसी रानी बड़े छोटे हनुमान सत्व।। मंदिर सिद्धपीठ समाधि गुरुआत्ममुनिदेव। सेवे रामसुखदास नित मौनी जी गुरुदेव।। मुनि आश्रम में अगनित शिष्य भक्तगण सहचर। करते सेवा बन सह अनुचर।। अनंत विभूषित परम गुरुमाधवदास। उपनाम मौनी बाबा कोटवन जिनका निवास।। ब्रह्म मुहूर्त में पूजा होती। ब्रह्म , आत्मज्ञान सहज मिल जाती।। आश्रम तपोवन के आंगन दो पेड़ कदम्ब। नीम बरगद पीपर जम्बु तुलसीअम्ब।। अर्चन वंदन नमन परिक्रमा। व्रजवासी चौरासी सबके धर्मा।। श्री मुनि जी बालिका विद्यालय, श्री मुनि जी स्टेडीयम। शिक्षा क्रीड़ा योग समाधि, नित पूजन बने सबके नियम।। किये सबके हित काज, सफल प्रेरक सबके बने। भक्ति ज्ञान वैराग्य प्रेम दिल में सने।। सत्संग भवन अद्भुतराजे, रोपित पुष्पद्रूमकानन सिंचितसाजे।। दूर्वपर्णकुटीरद्वारविराजे भारतराष्ट्र तिरंगे।।
Tags:
पर्यटन स्थल