मातृत्व का सुख
जिंदगी गर दुखों का सागर है,
मातृत्व प्रेम अमृत का महासागर है...
जब हार कर भी तुम आओ,
गले जीत सा ही तुमको लगाएगी,
यही तो मां का ममता दुलार है...
सारे रिश्तों की परीक्षा ले लो तुम,
निश्चल ऐसा प्रेम कहां पाओगे तुम,
मातृत्व की आशीष अपरंपार है...
जब सोए होते हो, स्वप्न में विचरण करते हो,
हाथ सर पर रख आशीष देती,
पल पल वो प्रेम लुटाती,
"शुभम"और "स्वप्निल"नाम आंचल से सहलाती,
देवता भी सर झुकाते ऐसी ममता को,
जननी को करते प्रणाम बारंबार हैं...
जो इस प्रेम से वंचित रह जाते,
जीवन उनका निराकार है...
कौर बनाकर वो सिर्फ खाना नहीं खिलाती,
उस कौर में आशीष ममता का संचार है...
🖊️उमा पुपुन
रांची, झारखंड
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संपादकीय/ मनोरंजन