शीर्षक - वह स्त्री है
सम्मान करो वह स्त्री है,
जीवन अपना चरितार्थ करो,
वह जन्मी किसी घड़ी में हो,
खुशियों से तुम आगाज़ करो।
वह दुर्गा है, वह लक्ष्मी है,
वह सीता है वह मीरा है,
जग में पड़ी जरूरत जैसे,
हर रूप में इनको पाया है।
नाम दर्ज है इतिहासो में,
रणभूमि गवाही देती हैं,
इतिहास के कोने कोने में,
नाम इन्हीं का बसता है।
हर पहर - हर कहर को,
खूब सहन कर लेती है ,
वह गृहस्थी में सबकुछ,
न्यौछावर कर देती है।
वह मां बन कर
सुन्दरता तज देती है,
वह स्त्री है तभी तो ,
वह सब कुछ सह लेती है।
योद्धा बनकर वह,
हर स्थिति में खड़ी रही,
झंकार उसकी पायलों से,
आज आंगन भी आबाद है।
साहित्यकार एवं लेखक-
डॉ आशीष मिश्र उर्वर
कादीपुर, सुल्तानपुर उ. प्र.
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संपादकीय/ मनोरंजन