बसन्त पंचमी को सरस्वती पूजन एवं गंगा - स्नान का विशेष महत्व है : डॉ देव नारायण पाठक

बसन्त पंचमी को सरस्वती पूजन एवं गंगा - स्नान का विशेष महत्व है : डॉ देव नारायण पाठक 
अहमदाबाद/ गुजरात के ज्योतिर्विद डॉ देव नारायण पाठक ने बताया कि बसन्त पंचमी को गंगा - स्नान और सरस्वती पूजन का विशेष महत्व है।पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 13 फरवरी 2024 को दोपहर 02.41 और अगले दिन 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12.09 मिनट पर समाप्त होगी। यह पर्व उदयातिथि के अनुसार 14 फरवरी को मान्य होगा।
इस दिन मां सरस्वती की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। इस साल 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी मनायी जाएगी। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां शारदा की पूजा की जाती है।बसन्त पंचमी की वैज्ञानिकता पर चर्चा करते हुए डॉ पाठक ने बताया कि बसंत पंचमी से ठंड की अनुभूति कम होने लगती है और मौसम में संतुलन बना रहता है। इसके साथ बसंत पंचमी पर्व के दिन पीले रंग का प्रयोग सर्वाधिक किया जाता है। हिन्दू धर्म में इस रंग का महत्व बहुत अधिक है,साथ ही साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस रंग को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस रंग को डिप्रेशन दूर करने में सबसे कारगर माना जाता है। साथ यह मस्तिष्क को पूर्णतः सक्रिय रखने में मददगार सिद्ध होता है। इस रंग से आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
वेद एवं पुराणों में  बसन्त पंचमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ देव नारायण पाठक ने बताया कि  भारत में छह मुख्य ऋतु हैं, जिनमें से बसंत ऋतु को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी  मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान ब्रह्मा जी के जिह्वा से वाणी, ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा का विधान है। इसके साथ ही मान्यता यह भी है कि इस विशेष दिन पर शिक्षा या संगीत से सम्बन्धित चीजों की पूजा करने से भी व्यक्ति को लाभ मिलता है और उसे इन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही इस दिन से पृथ्वी पर नवीनता का पुनः सृजन होता है। पेड़-पौधों में नए और सुन्दर पुष्प आने शुरू हो जाते हैं।

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